आम की डाली कोयल बोले दोहा :- ब्रह्मधाम आसोतरा में तो , सुन्दर बण्यो धाम। खेतारामजी इच्छा पूरे , करे भगता रो काम।। स्थाई :- आम की डाली कोयल बोले , बात बतावे खरी खरी। खेतेश्वर को जपले प्राणी , म्हें समझाऊँ घड़ी - घड़ी।। ब्रह्मधाम आसोतरा मे , नर नारी रो मेलो है। खेतेश्वर रो ध्यान धरो , हरदम थारे भेलो है। गाँव - गाँव और नगर - नगर में धूम मची है गली - गली।। धन दौलत सब उमर कमाणी , दोय घड़ी शुभ काम करो। ऐड़ो अवसर हाथ नी आवे , चाहे जतन तमाम करो। तन मन धन सब अर्पण कर दो , ब्रह्मधाम के आप धणी।। आप बसे वैकुण्ठ धाम प्रभो ! भगत पर आज म्हेर करो। ज्ञान ध्यान के तुम हो सागर , सूखी नदियाँ नीर भरो। प्यासी बगियाँ में रस भर दो , हो जावे वो हरी भरी।। ब्रह्म स्वरूपी महावैरागी , खेतेश्वर तपधारी है। आप के शरणे जो कोई आवे , नैया पार उतारी है। दास हिरा पे किरपा कर दो , भक्त बणाई कड़ी - कड़ी।। ...