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अगस्त 14, 2022 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

Sadho Bhai Manh Apne Vash Karna Bhajan साधो भाई ! मन अपने वश करणा भजन

साधो भाई ! मन अपने वश करणा (धुन: बिना निवण कुण) स्थाई:-  साधो भाई ! मन अपने वश करणा।  माया जाल में मानवो भागे, ले ले हाथ सिमरणा।। प्रथम सिंवर गुरुदेव को रे, घणा मान सूं नमणा।  हिरदे ध्यान कर सतगुरु रो, खूब मिले है रमणा रे, साधो भाई ! मन अपने वश करणा।। काम क्रोध ने झूठी माया, काल वासना तजणा।  श्वास-प्राण री माळा सूं नित, राम नाम ही भजणा रे, साधो भाई ! मन अपने वश करणा।। पाँच विषय सूं मनवो हटाने, नेम धरम में रखणा।  तज ने स्वारथ कर परमारथ, अमृत रस को चखणा रे, साधो भाई ! मन अपने वश करणा।। काळा पलट ने धोळा आया, मन री मिटी नी तृष्णा।  रत्नेश्वर कहे हर ने भज ले, निशदिन आवे जिरणा रे, साधो भाई ! मन अपने वश करणा।।                         ✽✽✽✽✽       यह भजन भी देखे  Chosat Joghani Bhajan चौसठ जोगणी Kathe Suthi Ne Kathe Aan कठे हुती ने कठे आण खड़ी Gaiye Ganpati Jag Vandan गाइए गणपति जग वंदन Mohan kheda Ke Prangan Me मोहनखेड़ा के प्र...

Rimjhim Rimjhim Karti Mhari Bhajan Lyrics रिमझिम-रिमझिम करती म्हारी माताजी भजन

रिमझिम-रिमझिम करती म्हारी......  दोहा:- अष्ट पहर चौसठ घड़ी, सिंवरूँ देवी तोय।   पट मंदिर का खोल दे, मैया दर्शण देवो मोय।। स्थाई:-  रिमझिम-रिमझिम करती म्हारी, मात भवानी आवे रे।  आगे आगे भेरुजी ए, घुंघरिया घमकावे है।  रिमझिम-रिमझिम करती ओ म्हारी।। जगमग हार गले में चमके, कुण्डल कानो माँये जी।  लाल रूप माथे पर बिन्दियाँ, शोभा वरणी न जाय जी। । रिमझिम-रिमझिम करती ओ म्हारी।। छम छम पग में पायल बाजे, बिछियाँ री छवि न्यारी ओ।  तारां जड़ियाचूनड़ी में, शोभा लागे प्यारी ओ।  रिमझिम-रिमझिम करती ओ म्हारी।। त्रिशूल माता रे हाथ में सोवे, नथणी नाक रे माँहि ओ।  जगमग जोतां जागे हो माता, मोहनी रूप धराई ओ। । रिमझिम-रिमझिम करती ओ म्हारी।। सिंह चढ़े ने आवो भवानी, भक्त मण्डल गावे है।  अब तो म्हाने दर्शन देवो, भक्त घणां सुख पावे है।  रिमझिम-रिमझिम करती ओ म्हारी।।                         ✪✪✪✪✪ यह भजन भी देखे...

Thari Kaya Ro Gulabi Rang Bhajan थारी काया रो गुलाबी रंग भजन

थारी काया रो गुलाबी रंग.....   दोहा:- माटी कहे कुम्हार से, तू क्यों रोंदे मोय।  एक दिन ऐसा आयेगा, मैं रोंदूंगी तोय।। स्थाई:- थारी काया   रो रंग उड जासी।  उड़ जासी रे फीको पड़ जासी, थारी काया रो गुलाबी रंग उड़ जासी।। हरा हरा रुखड़ा ऊगवा रे बाद में, पान फूल एक दिन झड़ जासी।। सूरज ऊगियो दोपारां ने तपीयो, सांझ पड्या सूरज ढल जासी।। रैण बसेरो पंछी कीनो, भोर भाई पंछी उड़ जासी।। जग सरकस है देख मेरा भाई, खेल खतम हुआ पछे घर जासी।। ओ तन है भाई पाणी रो पतासो, पाणी रो पतासो बीरा गल जासी।। कहे देवीदास श्री भजन करो भाई, धरम कमाई थारे सागे जासी।।             ✽✽✽✽✽     यह भजन भी देखे  Paav Me Ghungharu Bandh Ke Naache Bhajan Lyrics पाव में घुंगरू बाँध के नाचे Maharaj Gajanand Aawo महाराज गजानंद आवो Ashish Ka karo Ishara आशीष का करो इशारा Shiv Om Shiv Om Dham शिव ओम शिव ओम, धाम तिहारे Beta Thari Maa Samjhawe Re बेटा थारी माँ समझावे रे