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मई 8, 2022 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

Jobandhan Pawana Din Chara Bhajan Lyrics जोबन धन पांवणा दिन

जोबन धन पांवणा दिन.....  दोहा:- निवण बड़ी संसार में, नहीं निवे सो नीच।  निवे नदी रो गूंदलो, भाई रेवे नदी रे बीच।। स्थाई:- गरब करे सो गिंवारा जोबन धन, पांवणा दिन चारा।। हाड माँस का बण्या पूतला, भीतर भरिया भंगारा।  ऊपर रंग सुरंग चढ़ायो, कारीगर किरतारा, जोबन धन, पांवणा दिन चारा।। पशु चाम की बणत पनइया, नौबत बणे रे नंगारा। नर थारी चाम काम नहीं आवे, बल जल होवे रे अंगारा, जोबन धन, पांवणा दिन चारा।। दस माथा और बीस भुजा हा, पुत्र घणा ओ परिवारा।  एड़ा-एड़ा जोध गरब में गलिया, लंका रा सिरदारा, जोबन धन, पांवणा दिन चारा।। ओ संसार ओस वाळो -पाणी, जाता नहीं लागे वारा।  कहत कबीर सुणो भाई साधो ! हरी भज उतरो पारा, जोबन धन, पांवणा दिन चारा।।                 ✽✽✽✽✽     यह भजन भी देखे  Jambh Naam Ke Hire Moti जम्भ नाम के हीरे मोती Babo Bholo Amlido बाबो भोलो अमलीडो Unh Ghar Jhaije Veran Neend उण घर जाइजे वैरण नींद Suta Re Wo To Jagho Neend Su सूता रे वो तो जागो नीं...

Dekh Tamasha Lakadi Ka Bhajan Lyrics जीते भी लकड़ी मरते भी लकड़ी

देख तमाशा लकड़ी का  स्थाई:- जीते भी लकड़ी मरते भी लकड़ी,  देख तमाशा लकड़ी का।  क्या जीवन क्या मरण कबीरा, खेल रचा है लकड़ी का। । जिस समय तेरा जनम हुआ था, पलंग बना था लकड़ी का।  माता तुम्हारी, लौरी गाती, वो पलना था लकड़ी का । । पढ़ने चला जब पाठशाला में, लेकर पाटी लकड़ी की।  गुरु ने जब-जब डर दिखलाया, वो डण्डा था लकड़ी का । । जिस समय तेरा ब्याह रचाया, वो मण्डप था लकड़ी का।  वृद्ध हुआ जब, चल नहीं पाया, लिया सहारा लकड़ी का। । डोली पालकी और जनाजा, सब कुछ है ये लकड़ी का।  जनम मरण के इस मेले में, है सहारा लकड़ी का । । उड़ गया पंछी रह गई काया, बिस्तर बिछाया लकड़ी का।  एक पलक में खाक बनाया, ढेर सारा था लकड़ी का । । मरते दम तक मिटा नहीं भैया, झगड़ा-झगड़ी लकड़ी का।  राम नाम तो हिरदे लगा के, मिट जाए झगड़ा लकड़ी का । । क्या राजा, क्या रंक, भिखारी, अंत सहारा लकड़ी का।  कहत कबीर सुन भाई साधु, वीणा तंदूरा लकड़ी का । ।                             ...