गणनायक विघन हरो देवा दोहा: विघ्नहरण मंगलकरण, होत बुद्धि प्रकाश। नाम लेत गणराज का, होत दुष्ट का नाश।। स्थाई: गणनायक विघन हरो देवा, गणनायक विघन हरो देवा। सुख सम्पत दीजो आय के, गणनायक विघन हरो देवा।। पार्वती के तुम हो लाला , मै जपता हूँ प्रभु तेरी माला। खोलो म्हारे हिरदे रा ताला, दीजो ज्ञान बताय के। म्हारे गुण सू पेट भरो देवा, गणनायक विघ्न हरो देवा।। मात गवरजा सिया सती ने, में सिवरू कैलाश पति ने। बलवंता हनुमान जाती ने, लाए संजीवन जाय के। रघुवर के काज सरो देवा , गणनायक विघ्न हरो देवा।। रवि शशि शेष सकल गुण तारा, पुष्कर तीर्थ राज दुलारा। अड़सठ तीरथ गंग की धारा, गंगा में करो सनान रे। भवसागर पार करो देवा, गणनायक विघ्न हरो देवा।। ...