हरी ने हिये न धारा रे..... स्थाई:- हरी ने हिये न धारा रे, प्रभु ने हिये न धारा रे। वो नर पशु समान ज्यां रा, धूड़ जमारा रे। । पाँव से चल्या नहीं गुरु पासा -2 उण नर केरा पाँव कहिजे, देवल थम्ब जैसा।। हाथ से फेरी नहीं माला- 2 उण नर केरा हाथ कहिजे, वृक्षन रा डाला।। नैण से निरख्या नहीं नन्दा -2 उण नर केरा नैण कहिजे, मोर पंख चन्दा।। कान से सुणी नहीं कथा -2 उण नर केरा कान कहिजे, कीड़ी दर जेड़ा।। हरि का भजन नहीं करता,राम का भजन नहीं करता। रामलाल यूं कहे जगत में, बंदर ज्यूं फिरता।। ✽✽✽✽✽ यह भजन भी देखे Hirda Me Rewo Mavadi हिवड़ा में रेवो मावड़ी Sukarat Ful Gulab Ro Mhari Heli सुकरत फूल गुलाब रो म्हारी हेली Koni Bhulula Gun Tharo अरे कोणी भूलूला गुण थारो Bhilani Rangili Bhajan Lyrics भीलणी रंगीली Unh Ghar Jhaije Veran Neend उण घर जाइजे वैरण नींद ...