जनम लियो ज्यांने मरणो पड़सी दोहा:- जब तुम जनमे जगत में, जग हँसमुख तुम रोय। ऐसी करणी कर चलो, तुम हँसमुख जग रोय।। स्थाई:- जनम लियो ज्यां ने मरणो पड़सी, मौत नगारो सिर कुटे रे। लाख उपाय करो मन कितरा, बिना भजन नहीं छूटे रे। । जम राजा रो आयो है झूलरो, प्राण पलक माँहि छूटे रे। हिचकी चाल हचीड़ो चाले, नाड़ तड़ातड़ टूटे रे। । जीव लेय जद जमड़ो चाले, क्रोध कर-कर कूटे रे। गुरजां री घमसाण मचावे, तुरन्त तालवो फूटे रे। । जीव ले जाय नरक माँहि डाले, कीड़ा कागला चूंटे रे। भुगतेला जीव भजन बिना भाई, ए जमड़ा जुगां जुग कूटे रे। । भाई बन्धु तेरा कुटुम्ब कबीला, राम रुठ्यां सब रूठे रे। कर्मां रा खोटा बंधन थारा, राम भजन सूं टूटे रे । । राम भजन कर सुकरत कर ले रे, भव रा बन्धन टूटे रे। कहत कबीर सुख चावे जीव रो, राम नाम धन लूटे रे । । ✽✽✽✽✽ यह भजन भी देखे Ramdevji Ro Byaav Mandyo रामदेव जी रो ब्याव मंड...