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जून 26, 2022 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

Bhav Rakhjo Bhagti Bhajan Lyrics भाव राखजो भगती भजन

भाव राखजो भगती.....  दोहा:- कदली सीप भुजंग मुख, एक स्वाति गुण तीन।  जैसी संगत बैठिये, वैसी ही फल दीन।। स्थाई:-  भाव राखजो भगती, थांरी वेला नाम सूं ही मुक्ति।  ए साधु सदा आनन्द भेळा, क्या करे जम नेड़ा।। म्हारा सतगुरु मिलिया पागी, म्हारी सुरत सुन्दर जागी।  म्हारो मनड़ो भयो वैरागी, म्हारे सुकमण कूंची लागी।। तीन पाँच से न्यारा, वे ही हरि रा प्यारा।  हाल खड़ग री धारा, उणे देख्या दीदारा।। निज नाम ने रटिया, काल देख ने डटिया।  रंग पाँचो रा मिटिया, करम भरम सब कटिया।। नदी समुन्दर एका, मिटिया दिल रा धोखा।  गुरु मिलिया अनोखा, इण नजरों सूं देख्या।। लोट पोट एक सारा, वठे नहीं चन्दा नहीं तारा।  वो रूप वरण से न्यारा, अचरज खेल अपारा। । नहीं दिवलो नहीं बाती, नहीं दिवस नहीं राती।  यूं गावे बगसो खाती, वो अमरापुर रो वासी।।                             ✽✽✽✽✽    यह भजन भी देखे  Do Do Gujariya Ke Bich दो दो गुज...

Kaise Aau Kanaheya Teri Bhajan Lyrics कैसे आऊँ मैं कन्हैया तेरी भजन

कैसे आऊँ मैं कन्हैया तेरी स्थाई:-   दूर नगरी रे बड़ी दूर नगरी,  दूर नगरी रे बड़ी दूर नगरी। कैसे आऊँ मैं कन्हैया तेरी गोकुल नगरी,  बड़ी दूर नगरी हाँ।  दूर नगरी रे बड़ी दूर नगरी। । जमना जल जाऊँ काना, पायल मोरी बाजे।  पायल मोरी बाजे,  पायल मोरी बाजे। जमना जल जाऊँ काना, पायल मोरी बाजे।  चपत चलूं तो मेरी छलके गगरी,  बड़ी दूर नगरी।। रात में आऊँ तो कान्हा, डर मोहे लागे।  डर मोहे लागे, शरम मोहे लागे।  रात में आऊँ तो कान्हा, डर मोहे लागे।  दिन में  आऊँ तो, देखे सारी नगरी,   बड़ी दूर नगरी।। तेरी नगरी में कान्हा चोर बसत है।  चोर बसत है, लुटेर बसत है।  तेरी नगरी में कान्हा, चोर बसत है। लूट लेवे जी, मोरी नथ चुनरी,  बड़ी दूर नगरी।। मीरां बाई गावे प्यारा, गिरधर रा गुण।   गिरधर रा गुण, मोहन रा गुण।  मीरां बाई गावे प्यारा, गिरधर रा गुण।   तुम्हरे दरश, बिन हो गई बावरी,  बड़ी दूर नगरी।।                 ...

Karmo Me Likhiya Aakada Bhajan करमों में लिखिया आँकड़ा भजन

करमों में लिखिया आँकड़ा.....  दोहा:- रोहिड़ा रो फूल एक वन माँहि फूलियो।  झूठी माया देख भजन क्यों भूलियो।  माया देवो लुटाय, पवन का पेंकड़ा।  कहे बाजिन्द इण दुनियाँ में, चार दिन का तमाशा देखणा।। स्थाई:-  करमों में लिखिया आँकड़ा, कोई मिटा नहीं पावे।  पड़ी रेख पथर पे भायों, धोवां सूं मिट नहीं जावे।। राजा रावण करी तपस्या, सोना री लंका पावे।  विभीषण जी माला फेरी, राम चरण मिल जावे।  कुम्भकरण इन्द्रासन चायो, निन्द्रासन मिल जावे।। राजा विक्रम सेठ हवेल्यां, अन जल भोग लगावे।  किस्मत रूठी देखत देखत, खूंटी हार निगल जावे।  फूटा करम फकीर का, भरी चिलम गुड़ जावे।। माथो काटने मेले सिरहाणे, तो ही अपजश पावे।  बोझ खींच ने लावे बलधियो, सूखो चारो खिलावे।  खूंटे बंधियोड़ी घोड़ी ने, लीलो चारो खिलावे।। रोड़ों माथे सूता है, सपना महला रा आवे।  लिखिया तेल तकदीर में, घी कठां सूं खावे।  होणी हो सो होय ओंकारा, अपणो मन समझावे।।                   ...