इण रे आंगणिये ए सखि ( धुन:- आज हमारे ओ तो रामजी ) स्थाई:- इण रे आंगणिये ए सखि, कई नर खेलण आया। कई खेल्या ने कई नर खेलसी, कई नर खेल सिधाया। इण रे आंगणिये ए सखि।। तीन गुणां री झूंपड़ी, आ निशदिन झूठी रे। नैण हमारा यूं झरे, ज्यूं गागर फूटी रे। इण रे आंगणिये ए सखि।। आवो रे पाँच सहेलियाँ, सीव दो नी मेरा चोला ओ। मैं हूँ ज्ञान गरीबणी, सायब मेरा भोला ओ। इण रे आंगणिये ए सखि।। जाय उतारया पर धरा, संगी पछताया ओ। थे तो साथिड़ाँ थारे घर जाओ, मैं तो भया पराया ओ। इण रे आंगणिये ए सखि।। आया परवाणा अमरलोक रा, अठे रेवण नहीं देला ओ। काजी मोहम्मद शाह यूं भणे, संतो सही कर लेणा ओ। इण रे आंगणिये ए सखि।। ✽✽✽✽✽ यह भजन भी देखे Do Do Gujariya Ke Bich दो दो गुजरिया के बिच Meri Naiya Me Sitaram मेरी नैया में सीताराम, नदियाँ धीरे Thane Vinati Karu Me Barambar थांने विनती करुँ मैं बारम्बार Fakiri Chaln...