सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

मई 24, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

Shani Dev Katha शनि देव की कथा

               || श्री गणेशाय नमः ||                                                   शनेश्चर कथा प्रारम्भ  Shani Dev Katha            || चोपाई ||  सरस्वती सुमरुं मारी माय, गणपत लागूँ तोरे पाय।  तो सुमिरयांसुखसंपतिथाय, गौरीसुत मोहिबुद्धि बताय। गुरुप्रणाम करि शीश नवाऊं, शनिदेव की कथा बणाऊ।   दोहा -   आज्ञा भई गुरुदेव की लीन्हीं शीश चढ़ाय।  कथा कहूं शनिदेव की, भाषा सरस बनाय।  गुरु की आज्ञा पाय के चित में कियो विचार।  कायस्थ जोरी जुगत सूं कथा, करो विस्तार।           || चोपाई || सुमिरुं देव  शनिचर  राजा, मन वांछित सारे सब काजा।  सांचो देव शनिचर कहूँ, जेक पांव में सदा गहूँ।  सुर तेतीस मुँनिश्वर ध्यावै, ब्रह्मा विष्णु महेश मनावें।  सर्व शिरोमणि ग्रह है भारी, निशदिन ध्यावे सब ...