मेणा दे थारो लाल कठे (धुन:- महाराणा प्रताप कठे ) स्थाई:- मेणा दे थारो लाल कठे, वो भगतां रो प्रतिपाल कठे, वो लीले रो असवार कठे।। धरती पर बढियो पाप घणो, वो रामदेव अवतार कठे। मेणा दे थारो लाल कठे, वो भगतां रो प्रतिपाल कठे।। धरती रो पाप मिटावण ने, ज्यूं अजमल घर अवतार लियो। जो बेल धरम री सींच गयो, और भगता रो उद्धार कियो। जो नाथ द्वारका वालो है, जो चक्र सुदर्शन धारी है। कलजुग में रामापीर धणी, जो निकलंक नेजाधारी है। भगती रो पंथ बतावणियो, वो तुंवरां रो सिरताज कठे।। मेणा दे थारो लाल कठे, वो भगतां रो प्रतिपाल कठे।। ओ कलजुग घोर करूर घणो, सज्जन रो जीणो दोरो है। सज्जन रोटी ने तरसे है, और पापी घर में सोरो है। भाई- भाई रो बैरी है, अर बाड़ खेत ने खावे है। भाई बहना रो घर खावे, और लाज शरम ना आवे। कोई म्हाने तो बतला दो, इण कलजुग रो है पार कठे।। नर नशा पता में डोले है, नारी घर बार चलावे है।...