फकीरी, लागा नहीं शब्दों रा तीर..... दोहा :- अलख भरोसे ऊकले , आधण ईशरदास। ऊकळ्या में ओरसी , कोई बड़ो भगत विश्वास।। स्थाई :- जिण रे बाण लागा गुरुगम रा , मार लियो मन मीर , फकीरी , लागा नहीं शब्दों रा तीर।। आठों ही पोहर ओ दुनियाँ ने लूटे , सुख भोगे ओ शरीर। आठों ही पहर माया में हारे , बण बैठो पाँचो पीर , फकीरी , लागा नहीं शब्दों रा तीर।। भगवाँ रंगिया ने मन नहीं रंगिया रे , छूट रयो सब सीर। ओ घर त्याग बहु घर झेल्या , नहीं बुद्धि नहीं धीर , फकीरी , लागा नहीं शब्दों रा तीर।। भीतर में रे भरम रा कीड़ा रे , बाहर होयो फ़क़ीर। ए तो हाल फकीरों रा झूठा , संतो कर दो झीर , फकीरी , लागा नहीं शब्दों रा तीर।। धन सुखराम मिल्या गुरु पूरा , जोगी मस्त फकीर। मस्त दीवाना ज्यां रे लोग नहीं बाना , ईशर रहत सधीर , फकीरी , लागा नहीं शब्दों रा तीर।। ...