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फ़रवरी 20, 2022 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

Kalap Math Kachab Kudi Bhajan कळप मत काछब कूड़ी रे

कळप मत काछब कूड़ी रे.....  स्थाई:- काछबो ने काछबी रेहता रे जल में, लेता हरि रो नाम।  भगती रे कारण बाहर आया, कीना संती ने प्रणाम।  संतो रे शरणे पड़िया जी, झटक झोली में धरिया जी। । कळप मत काछब कूड़ी रे, सांवरा री रीतो रूड़ी रे।  भगती रो भेद नी पायो रे, सांवरा नेछे आयो राम।। संत ले होण्ड़ी में धारिया, तले रे लगाईं आग।  केवे काछबी सुण रे काछबा, थारो हरी बताय।  कठे थारो साळग प्राणी रे, मौत री आई निशाणी रे। । ऊभी बळूं में आडी  बळूं में, मिल गई झालो झाल।  अजे नी सांवरो आवियो रे, म्हारो प्राण निकल्यो जाय।  कठे थारो मोहन प्यारो रे, मीठोड़ी मुरली वाळो रे। । बळती वे तो बैठ पीठ पर, राखूं थारो प्राण।  निंदरा मत कर म्हारे श्याम री ,  राखूं थारे  प्राण।  हरी म्हारो आसी वारुं, जीवो ने तारण सारू रे।  उत्तर दिशा में उठी वादली, झीणी वाजे वाव।  तीन पान री उडी झूंपड़ी, उडी आकाशों जाय।   घमाघम इन्दर गाजे रे, पाणी री पोठों बाजे रे। । काची नींद में सूतों सांवरो, मोड़ी सुणी रे प...

Aap Thaka Kinane Dhyavu Ramdevji Bhajan आप थकां किणने ध्यावूं

आप थकां किणने ध्यावूं  दोहा:- हरजी री सुण वीनती, आईजो रामापीर।  परचो मांगे राजाजी रे, किण विध आवे धीर।।   स्थाई:- अरे बापजी ओ,  आप थकां किणने ध्यावूं जी।  किनारी पोल्याँ आगे करुँ वीणती, किणने दुखडो सुणाऊँ।  ओ बापजी ओ,  आप थकां किणने ध्यावूं , जी। । पर बिना पाँख पखेरू कियाँ उड़सी, कियाँ में बच पाऊँ जी।  जल बिना मछियाँ, किण विध जीसी, जल कठा सूं लाऊँ।  ओ रामदेवजी,  आप थकां किणने ध्यावूं , जी। । राजा विजयसिंह परचो मांगे बाबा, परचो कियाँ में दिखाऊँ जी।  आणो वे तो आजा रामदे, जहर खाय मर जाऊँ।  ओ बापजी ओ,  आप थकां किणने ध्यावूं , जी। । नौ मण घास घोड़े आगे राल्यो बाबा, घोड़े ने  कियाँ रे चराऊँ जी।  राजा  विजयसिंह यूं फरमावे बाबा, घाणी में घाल पीलाऊँ।  ओ बापजी ओ,  आप थकां किणने ध्यावूं , जी। । लीलो हीस करि गढ़ पोल्याँ दाता, गढ़ ने दियो है धुजाई जी।  हाकम हंजारी माफ़ी मांगे, जनम जनम गुण गाऊँ।  ओ रामदेवजी,  आप थकां किणने ध्यावूं , जी। । राज...

Saiya Satguru Bhal Aaya Bhajan सइयां ! सतगुरु भल आया ए

सइयां ! सतगुरु भल आया ए.....  दोहा:- धनगुरु करतारामजी, तुम री फूंक अथाय।  नौ दरवाजा आणंद सदाई नवला, सतगुरु सेवा माँय।। स्थाई:-  सइयां ! सतगुरु भल आया ए।  गर हर गाजियो इण शहर में, आनन्द बरसाया ए। । दर्द मिटायो इण जीव रो, तन री तपत बुझासा।  जुगन-जुगन रा जीव अलुझिया, सतगुरु सुलझासा।। भवसागर रा भय मिटाया, जम जाल हटाया।  कर किरपा गुरुदेव जी, सत शब्द सुणाया।। जड़ पूजा सब छोड़ ने, सतगुरु फ़रमाया।  पारस लागो इण अंग रे, कंचन कर थाया।। रैण अंधारो सारो मेट ने, सपना सर्व हटाया।  कहे नवलो किरपा भई, दिन रैण जगाया।।                           ✽✽✽✽✽   यह भजन भी देखे  Khelo Mota Chauk Me खेलो मोटा चौक में Chalo Diwana Ra Desh Me Heli चालो दिवाना रा देश में हेली Naath Niranjan Aarti Saajhe नाथ निरंजन आरती साजे Gaiye Ganpati Jag Vandan गाइए गणपति जग वंदन Satguru Kripa Kini सतगुरु किरपा कीनी