मन्दिर में ध्यान लगावां..... ( धून: दरगाह में अरजी सुणावां ) दोहा: पीपा मन हरख्यो फिरे , समझे नहीं गंवार। ज्ञान को तो जाने नहीं , पावो चले पहाड़। स्थाई: मिन्दर में ध्यान लगांवा , गुरूजी म्हाने ज्ञान बतावो। ज्ञान बतावो गुरूजी पार लगावो। चौखट में शीश झुकावां , पीपाजी म्हाने ज्ञान बतावो।। गढ़ रे गागरोन थारो जनम कहावे। रामानन्दजी रा तो शिष्य कहलावे। हिरदा में म्हाने सरसावो , गुरूजी म्हाने ज्ञान बतावो।। जग में तो मोटा संत कहावो। हिरदा में म्हाने आप ज्ञान दिरावो। सुख दुःख में ना बिसरावो , गुरूजी म्हाने ज्ञान बतावो।। राज काज छोड़ , अहिंसा अपणाई। त लवारां छोड़ कला , सीवन है भाई। भगती सुं हरि से मिलावो , गुरूजी म्हाने ज्ञान बतावो।। प्रकाश माली तो थांरी महिमा गावे। महेंद्र सिंह राठौड थांरी महिमा गावे। सुबह शाम गु...