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मार्च 29, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

Mandir Me Dhyaan Lagawa Bhajan Lyrics मन्दिर में ध्यान लगावां

मन्दिर में ध्यान लगावां.....      ( धून: दरगाह में अरजी सुणावां  )  दोहा:   पीपा मन हरख्यो फिरे , समझे नहीं गंवार।             ज्ञान को तो जाने नहीं , पावो चले पहाड़।   स्थाई:   मिन्दर में ध्यान लगांवा , गुरूजी म्हाने ज्ञान बतावो।   ज्ञान बतावो गुरूजी पार लगावो।   चौखट में शीश झुकावां , पीपाजी   म्हाने   ज्ञान बतावो।। गढ़ रे गागरोन थारो जनम कहावे।   रामानन्दजी रा तो शिष्य कहलावे।     हिरदा में म्हाने सरसावो , गुरूजी   म्हाने   ज्ञान बतावो।।    जग में तो मोटा संत कहावो।   हिरदा में म्हाने आप ज्ञान दिरावो।   सुख दुःख में ना बिसरावो , गुरूजी म्हाने ज्ञान बतावो।। राज काज छोड़ , अहिंसा अपणाई।   त लवारां छोड़ कला , सीवन है भाई।   भगती सुं हरि से मिलावो , गुरूजी म्हाने ज्ञान बतावो।। प्रकाश माली तो   थांरी   महिमा गावे। महेंद्र सिंह राठौड   थांरी महिमा गावे।    सुबह शाम गु...

Punam ki He Raat Bhajan Lyrics पूनम की है रात

पूनम की है रात.....   ( धुन: कीर्तन की है रात  ) दोहा:   आज गुरूजी आवजो , पूनम की है रात।             प्रेम बादल उमड़ीया , आनन्द की बरसात।।           स्थाई:   पूनम की है रात गुरूजी आज थाने आणो है।             पूनम की है रात पीपाजी आज थाने आणो है।               बेड़ो पार लगाणो है ,  पूनम की है रात।। धा म समदड़ी में , मिन्दर है मोटो , पीपाजी आपरो।   नाम है साँचो , कलजुग में गरुजी , है   थारो आसरो। हो गागरोन गढ़ में , ध्यान सब   ही लगायो है।               दूर दूर सूं , सगळां ही आवे , करे नीत ध्यान वे।   उपदेश अहिंसा रो , सब ने दिखलायो , हिंसा ना जीव ले। हो सगळां सुणजो थे , चोखी सीख आ दिराई है।। क्षमा हिरदा में राख , सत ने ना बिसराव , जुगत ने देख ले।   जिवणो दोरो है , नाव भंवर में , जीव तू चेत ले।   हो मन सु भज लो राम , भवसागर तीर जाणो है।। ...

Gaghron Ghad Maharaj Bhajan Lyrics गागरोन गढ़ महाराज

हे गागरोन गढ़ महाराज ......... ( धुन : जहा डाल डाल पर   )    दोहा:   गुरुर्ब्रह्मा ग्रुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः। गुरुः साक्षात् परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः ॥ स्थाई:   हे गागरोन गढ़ महाराज तुम्हारी , महिमा किस विध गायें।   ये समझ हम नहीं पायें।   हुआ मन वैरागी माँ अम्बे के , सन्मुख दर्शन पाये।   ये समझ हम नहीं पायें।। संतो में संत शिरोमणि पूज्य , गुरु रामानन्द सागर।   जिनकी गाथाएँ आज भी इस , पावन धरती पे उजागर।   शीश उन्ही के महाराज , पीपा के बलि बलि जायें।   हम करबद्ध शीश नवाये।। पीपा की अमृतवाणी सुन , सब क्षत्रिय वंश हर्षाये।   सुन जान के वो अनमोल वचन , सब मन के भरम मिटाये।   यूं ज्ञान की जोत जलाकर सच्चा , मुक्ति का पथ पावे।   सब पाप करम कट जायें।। लाठी वालों की सभी लाठियों , को हे वृक्ष बनाया।   मद हुआ चूर लाठी वालो का , शरण पीपा की आया।   कर चमत्कार को नमस्कार , पीपा के ही गुण गाये।   चरणों में शीश नवाये।। बोले पीपा से दो व्यभिचारी ,...