दुनियाँ मतलब की रे..... दोहा:- आधी रैन निकसी गई, जगत गया सब सोय। जिनको चिन्ता पीव की, भई नींद कहाँ से होय।। स्थाई:- दुनियाँ मतलब की रे म्हारा संतों , दुनियाँ मतलब की। थोड़ी अबे म्हाने, खबर पड़ी म्हारा संतों , दुनियाँ मतलब की। । एक डाल दो पंछी बैठा, बोले हरी हरी। टूटी डाल ने उड़ गया पंछी, आ केड़ी प्रीत करी रे म्हारा संतों ।। जब बैल चले घाणी में, तब लग सार घणी। बूढ़ा हुआ पछे सार नहीं पूछे, अरे डोले अली गली रे म्हारा संतों ।। जब लग तेल दिए में बतियाँ, तब लग जोत घणी। जल गया तेल ने बुझ गई बतियों, घोर अंधार भई म्हारा संतों ।। जो तू चावे जग में जीणो, भज ले हरी-हरी। कहत कबीर सुणो रे भाई संतों, बिलकुल बात खरी रे म्हारा संतों।। ✽✽✽✽✽ यह भजन भी देखे Khelo Mota Chauk Me खेलो मोटा चौक में Santh Padhare Panwana Mhari Heli संत पधारे पांवणा महारी हेली Naath Niranjan Aarti Saajhe नाथ न...