पंछीड़ा लाल आछी पढियो रे स्थाई:- पंछीड़ा लाल, आछी पढियो रे उलटी पाटी। ईश्वर ने तू भूल गयो रे, लख चौरासी काटी।। गरभवास में दुख पायो थारे, घणा दिनां री घाटी। बाहर आय राम ने भूल्यो, उल्टी पढ़ ली पाटी।। जीव जन्तु ने खाय-खायकर, बदन बणायो बाटी। इतनी मोती देह जले जब, लागे बारा मण काठी।। करस काण ने छोड़ दीवी तू , हाथ में ले ली लाठी। माखण और दूध ने बेचे, छाछ जरे कइयां खाटी।। जोड़ जोड़ धन कर लियो भेळो, लगा कपट की टाटी। अपणा मतलब कारणे, कितनों की गर्दन काटी।। आया गया थारा मेहमानां ने, घाले चूरमो बाटी। भूखा प्यासा साधुड़ां ने, घाले राबड़ी खाटी।। कहत गुलाब सुणो भाई साधो, या छे जम की घाटी। जम का दूत पकड़ कर मारे, जद चाटेला माटी।। ✽✽✽✽✽ यह भजन भी देखे Chausat Jogani Mataji Bhajan Lyrics चौसठ जोगणी Fakiri Jivat Dhukhe Massan फकीरी जीवत धूके मसाण Naath Niranjan Aarti Saajhe नाथ निरंजन आरती साज...