पेड़ पकड़ ने चढ़ म्हारा बीरा दोहा: हंसा बगुला एक से, मान सरोवर माँहि । बगुला ढिंढोरे माछली, हंसा मोती खाई ॥ स्थाई: पेड़ पकड़ ने चढ म्हारा बीरा रे, झमको ने तू मत झेल । सत्य वचन री डोर पकड़ ले, अधर सिंहासन मेले, ओ साधु भाई ! चलियो आवे नी गेले गेले ॥ एथने मारग में कोई नहीं झेले, ओ साधु भाई ! चलियो आवे नी गेले गेले ॥ कोयल वाणी बोल म्हारा बीरा रे, कागा री वाणी हेटी मेल । कोयल जाय बागों रे माँय बोले, ओ कागो तो घर-घर डोले, ओ साधु भाई, चलियो आवे नी गेले गेले ॥ हंसों री चाली चाल म्हारा बीरा रे, बुगलों री चाली हेटी मेल । हंसो तो जाय चुगे रे निज मोती, ओ बुगलो तो मछली ने झेले, ओ साधु भाई, चलियो आवे नी गेले गेले ॥ सिमरथ म्हाने पूरा रे मिलिया, प्रेम पियालो दियो पी ले। मंगळो तो सतगुरुसा रे शरणे, ओ तो अमरापुर में खेले, ओ साधु भाई, चलियो आवे नी गेले-गेले ॥ ✽✽✽✽✽ ❤ यह भजन भी देखे ❤ Paav Me Ghungharu Bandh Ke Naache Bhajan Lyrics Ek Di...