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Bhav Rakhjo Bhagti Bhajan Lyrics भाव राखजो भगती भजन

भाव राखजो भगती..... 

दोहा:- कदली सीप भुजंग मुख, एक स्वाति गुण तीन। 
जैसी संगत बैठिये, वैसी ही फल दीन।।

स्थाई:- भाव राखजो भगती, थांरी वेला नाम सूं ही मुक्ति। 
ए साधु सदा आनन्द भेळा, क्या करे जम नेड़ा।।

म्हारा सतगुरु मिलिया पागी, म्हारी सुरत सुन्दर जागी। 
म्हारो मनड़ो भयो वैरागी, म्हारे सुकमण कूंची लागी।।

तीन पाँच से न्यारा, वे ही हरि रा प्यारा। 
हाल खड़ग री धारा, उणे देख्या दीदारा।।

निज नाम ने रटिया, काल देख ने डटिया। 
रंग पाँचो रा मिटिया, करम भरम सब कटिया।।

नदी समुन्दर एका, मिटिया दिल रा धोखा। 
गुरु मिलिया अनोखा, इण नजरों सूं देख्या।।

लोट पोट एक सारा, वठे नहीं चन्दा नहीं तारा। 
वो रूप वरण से न्यारा, अचरज खेल अपारा।

नहीं दिवलो नहीं बाती, नहीं दिवस नहीं राती। 
यूं गावे बगसो खाती, वो अमरापुर रो वासी।।
                            ✽✽✽✽✽   

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