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Aur Asro Chod Asro Bhajan Lyrics और आसरो छोड़ आसरो भजन

और आसरो छोड़ आसरो.....

स्थाई: और आसरो छोड़ आसरो, 
ले लियो कुँवर कन्हाई को।
हे बनवारी आज मायरो, 
भर दे नैनी बाई को ।।

असुर संहारन भक्त उबारण, 
चार वेद महिमा गाई ।
जब-जब भीड़ पड़ी भक्तन पर, 
तब-तब आप करी सहाई ।
पृथ्वी लाकर सृष्टि रचाई, 
बराह होय सतयुग माँहि ।
असुर मार प्रहलाद उबार्यो, 
प्रकट भये खम्भा माँहि ।
बावन होय बळी छळ लियो, 
कीन्हो काम ठगाई को ॥

मच्छ कच्छ अवतार धारकर, 
सुर नर की मनसा पूरी ।
अर्ध रेन गजराज पुकार्यो, 
गरूड़ छोड़ पहुँचे दूरी ॥
भस्मासुर को भस्म करायो, 
सुन्दर रूप बने हरी ।
नारद की नारी ठग लीनी, 
जाकर आप चढे चँवरी ।
असुरन से अमृत ले लीनो, 
बनकर भेष लुगाई को ॥

परशुराम भी रामचन्द्र भये, 
गौतम की नारी तारी।
भिलणी के फल झूठे खाये, 
शंका त्याग दई सारी ।
करमां के घर खींचड़ खायो, 
तारी अधम गणिका नारी ।
छलकर तर गई नारी पूतना, 
कुबजा भई आज्ञाकारी ।
सेन भगत का सांसा मेट्या, 
रूप बनाकर नाई को ॥

नामदेव रैदास कबीरो, 
धन्ना भगत को खेत भार्यो ।
दुर्योधन का मेवा त्याग, 
साग विदुर घर पान कर्यो ।
प्रीत लगाकर गोपी तर गई, 
मीरां जी को काज सर्यो ।
चीर बढ़ायो द्रोपद सुता को, 
दुशासन को मान हर्यो ।
कहे नरसीलो सुन ले सांवरिया, 
कर ले काम भलाई को ॥
          ✽✽✽✽✽

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