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Fakiri Chalno Khanda Ri Dhaar Bhajan Lyrics फकीरी चालणो खाण्डा री धार

फकीरी, चालणो खाण्डा री धार..... 



स्थाई:- कायर से चलियो नहीं जावे, शूरा चाले एक सार,
फकीरी चालणो खाण्डा री धार।।

प्रथम पाँच बसे माँहि जोधा, मरे नहीं लेवे मार। 
शबद स्पर्श रूप रस गन्धा, होवण नहीं दे पार।।

शबद तजूँ तो स्पर्श नहीं छूटे, स्पर्श तजियां रूप प्यार। 
रूप तजूँ तो रस नहीं छूटे, रस तजियां गंध लार।।

इण पाँचों ने कोई विरला छोड़े, कर कर ज्ञान विचार। 
बिना विचार त्याग्या नहीं जावे, इण पाँचों रा व्यवहार।।

इतरा त्यागिया सब सुख होई, दुःख नहीं रहत लिगार। 
गुरु प्रताप कहे मोजीदासा, अनुभव भयो प्रकाश।।
                            ✽✽✽✽✽  

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