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Gaghron Ghad Maharaj Bhajan Lyrics गागरोन गढ़ महाराज


हे गागरोन गढ़ महाराज ......... (धुन : जहा डाल डाल पर )   

दोहा: गुरुर्ब्रह्मा ग्रुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः।
गुरुः साक्षात् परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः ॥

स्थाई: हे गागरोन गढ़ महाराज तुम्हारी, महिमा किस विध गायें। 
ये समझ हम नहीं पायें। 
हुआ मन वैरागी माँ अम्बे के, सन्मुख दर्शन पाये। 
ये समझ हम नहीं पायें।।

संतो में संत शिरोमणि पूज्य, गुरु रामानन्द सागर। 
जिनकी गाथाएँ आज भी इस, पावन धरती पे उजागर। 
शीश उन्ही के महाराज, पीपा के बलि बलि जायें। 
हम करबद्ध शीश नवाये।।

पीपा की अमृतवाणी सुन, सब क्षत्रिय वंश हर्षाये। 
सुन जान के वो अनमोल वचन, सब मन के भरम मिटाये। 
यूं ज्ञान की जोत जलाकर सच्चा, मुक्ति का पथ पावे। 
सब पाप करम कट जायें।।

लाठी वालों की सभी लाठियों, को हे वृक्ष बनाया। 
मद हुआ चूर लाठी वालो का, शरण पीपा की आया। 
कर चमत्कार को नमस्कार, पीपा के ही गुण गाये। 
चरणों में शीश नवाये।।

बोले पीपा से दो व्यभिचारी, सीता को हम चाहें।
बोले पीपा ले जाओ सीता, मन ही मन हर्षाये। 
देखो सीता में रूप सिंहनी, माया समझ न पायें। 
वे मन ही मन घबराये।।
            ❂❂❂❂❂

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