ए पिपळिए बैठा पंखीड़ा रे.....
स्थाई:
ए पिपळिए बैठा पंखीड़ा रे,
उड़ी
जा रे उड़ी जा।
सोने
री चोंच मंढावू थांरी,
आँखां हिरला जड़ावूं रे ॥
उड़ी
ने जाजे आरासुर माँ,
अम्बा
जी ने कहिजे रे
आया
माताजी ना नौरता थे,
गरबे
रमवा आवो रे।
सिंह
सवारी मैया आवजो थे,
झांझर
री झणकार थे॥
उड़ी
ने जाजे सुन्धागढ़ माँ,
चामुण्डा
ने कहिजे रे।
आया
चामुण्डा थारा नौरता,
थे
गरबे रमवा आवो रे।
सिंह
सवारी मैया आवजो,
थे
छमछम घूंघर बाजता॥
उड़ी
ने जाजे पावागढ़ माँ,
काळी
माँ ने कहिजे रे।
रूड़ा
आया है माँ नौरता थे,
गरबे
रमवा आवो रे।
सोळे
सिंगार सज आवजो थे,
झांझर
री झणकार थे।
उड़ी
ने जाजे भीनमाल शहर माँ,
खीमज
माँ ने कहिजे रे।
आया
भवानी थारां नौरता थे,
गरबे
रमवा आवो रे।
सिंह
सवारी मैया आवजो थे,
छमछम
घुंघरू बाजन्ता॥
उड़ी
ने जाजे नाडोल नगर माँ,
आशापुरा
ने कहिजे रे।
आया
अम्बे माँ थांरा नौरता थे,
गरबे
रमता आवो रे।
सिंह
सवारी मैया आवजो थे,
झांझर
री झणकार रे॥
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