चौसठ जोगणी ए.....
दोहा:- सिंह चढ़ी देवी मिले, और गरुड़ चढ़े भगवान।
बैल चढ़े शिवजी मिले, तो पूर्ण हो सिद्ध काम।।
स्थाई:- हो देवलिये रम जाय माड़ि रे मंदिरिये रम जाय।
चौसठ जोगणी रे, देवी रे देवलिये रम जाय।
घूमर घालणी ए, देवी रे मंदिरिये रम जाय।।
हंस सवारी कर जगदम्बा, ब्रह्मा रूप बणायो।
ब्रह्मा रो रूप बणायो भवानी, ब्रह्मा रूप बणायो।
चार वेद मुख चार कहिजे, चारां रो जश गायो।।
गरुड़ सवारी कर जगदम्बा, विष्णु रूप बणायो।
विष्णु रो रूप बणायो भवानी, विष्णु रूप बणायो।
गदा पद्म शंख चक्र विराजे, मधुबन बीन बजायो।।
बैल सवारी कर जगदम्बा, शिवजी रूप बणायो।
शिवजी रो रूप बणायो देवी, शिवजी रूप बणायो।
जटा मुकुट में गंगा बिराजे, शेष नाग लिपटायो।।
सिंह सवारी कर जगदम्बा, शक्ति रो रूप बणायो।
शक्ति रो रूप बणायो म्हारी माता, शक्ति रूप बणायो।
सियाराम तेरी करे स्तुति, तुलसीदास जस गायो।।
✪✪✪✪✪
यह भजन भी देखे
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें